Dr. Kafeel Khan-डॉक्टर कफील खान की रिहाई की मांग को लेकर चल रहे अभियान ने लिया राजनीतिक मोड़

Dr. Kafeel Khan-डॉक्टर कफील खान क्यों है जेल में बंद 

डॉक्टर कफ़ील खान
डॉक्टर कफ़ील खान

मथुरा जेल में बंद डॉक्टर कफ़ील खान तीन साल पहले गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत के मामले से चर्चा में आए डॉक्टर कफ़ील ख़ान को 2017 में गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में इंसेफेलाइटिस से मौतों के मामले में भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. अप्रैल 2018 में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया और उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से शुरू की गई एक विभागीय जांच में सितंबर 2019 में उन्हें आरोपों से मुक्त कर दिया गया था।
इसके बाद पिछले साल दिसंबर महीने में नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए के ख़िलाफ़ डॉक्टर कफ़ील ख़ान ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया था. इस मामले में कफ़ील के ख़िलाफ़ अलीगढ़ के सिविल लाइंस थाने में केस दर्ज किया गया था. 29 जनवरी को यूपी एसटीएफ़ ने उन्हें मुंबई से गिरफ़्तार किया था।

कैसे लगी रासुका 

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम यानी एनएसए सरकार को किसी भी व्यक्ति को हिरासत में रखने की शक्ति देता है. इस क़ानून के तहत किसी भी व्यक्ति को एक साल तक जेल में रखा जा सकता है. हालांकि तीन महीने से ज़्यादा समय तक जेल में रखने के लिए सलाहकार बोर्ड की मंज़ूरी लेनी पड़ती है.

रासुका उस स्थिति में लगाई जाती है जब किसी व्यक्ति से राष्ट्र की सुरक्षा को ख़तरा हो या फिर क़ानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका हो.

मथुरा जेल में बंद डॉक्टर कफ़ील को 10 फ़रवरी को ज़मानत मिल गई लेकिन तीन दिन तक जेल से उनकी रिहाई नहीं हो सकी और इस दौरान अलीगढ़ ज़िला प्रशासन ने उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून लगा दिया.एसटीएफ़ डॉक्टर कफ़ील को अब तक दो बार गिरफ़्तार कर चुकी है.कफ़ील के ख़िलाफ़ अलीगढ़ में मामला दर्ज था और वो वांछित अपराधी थे. उन्हें मुंबई से गिरफ़्तार करके अलीगढ़ पुलिस को सौंप दिया था. इससे पहले उन्हें गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज मामले में भी एसटीएफ़ गिरफ़्तार कर चुकी है.
कफ़ील के भाई अदील ख़ान कहते हैं, "दस फ़रवरी को शाम चार बजे कोर्ट ने कफ़ील ख़ान को तत्काल रिहा करने के निर्देश दिए थे लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी रिहा नहीं किया गया. ज़मानत के बाद रासुका तामील नहीं की जा सकती, ये सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला है।
अलीगढ़ ज़िला प्रशासन इस मामले में सिर्फ़ यही कहता है कि उनके ख़िलाफ़ भड़काऊ भाषण देने का मामला दर्ज किया गया है और अब हाईकोर्ट ही इस बारे में सही ग़लत का फ़ैसला करेगा।



कफील खान की रिहाई की मांग को लेकर चल रहे अभियान ने लिया राजनीतिक मोड़

डॉक्टर कफ़ील की रिहाई को लेकर पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर अभियान चलाया जा रहा है और महज़ कुछ घंटों में एक लाख से ज़्यादा ट्वीट किए गए थे. बुधवार को लखनऊ में कुछ वकीलों ने भी उनकी रिहाई के लिए प्रदर्शन किया था.

लेकिन अब इस अभियान ने राजनीतिक मोड़ ले लिया है कांग्रेस पार्टी के अल्पसंख्यक सेल ने कफ़ील की रिहाई के लिए प्रदेशव्यापी अभियान चलाने का फ़ैसला किया जिसके तहत 15 दिनों तक घर-घर जाकर रिहाई के लिये हस्ताक्षर अभियान, सोशल मीडिया अभियान, मज़ारों पर चादरपोशी, रक्तदान और कुछ अन्य कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे.कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय समन्वयक मिन्नत रहमानी ने कहा, हमने डॉक्टर कफील खान की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए इसके खिलाफ लड़ने का फैसला किया है.’
पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने खान की रिहाई की मांग को लेकर शुक्रवार से ही यूपी के विभिन्न जिलों से हस्ताक्षर अभियान शुरू कर दिया है.
पार्टी नेताओं ने कहा कि मेरठ, मुजफ्फरनगर और संभल सहित घनी मुसलिम आबादी वाले जिलों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.
कांग्रेस के यूपी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रमुख शाहनवाज आलम ने बताया, ‘हमने शिविर (यूपी के सभी जिलों में) लगाए हैं और हर जिले से लगभग 10,000 हस्ताक्षर जुटाना चाहते हैं और अगले कुछ हफ्तों में उन्हें राज्यपाल को सौंपा जाएगा.




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