मुज़फ्फरनगर का आपराधिक इतिहास,

जिला  मुज़फ्फरनगर  उत्तर प्रदेश 




वैसे तो मुज़फ्फरनगर एशिया में क्राइम कैपिटल के नाम से जाना जाता है मगर पूर्वांचल और बिहार के मुकाबले यहाँ अपराध की परिभाषा अलग है ज़्यादातर अपराधी यहाँ आपसी रंजिश की वजह से अपराध की दुनिया में उतरे है.
पूर्वांचल और बिहार में अपराध से राजनीती में प्रवेश करना आम बात है जैसे की मुख़्तार अंसारी हो बर्जेश सिंह D.P यादव या बिहार के शहाबुद्दीन हो लेकिन मुज़फ्फरनगर में अपराध की राजनीती केवल ब्लॉक प्रमुख तक ही सिमट के रह जाती है जैसे हरपाल खेड़ी, सुरेंद्र कुकड़ा, विक्की त्यागी ये सब ब्लाक प्रमुख रहे है

ऐसा भी नहीं है के मुज़फ्फरनगर में बड़े माफियाओ ने विधान सभा और लोक सभा के एलक्शन में हाथ न आज़माये हों मगर सफल नहीं हो पाए है और केवल प्रमुख ही बन के रह गए है. 

मुज़फ्फरनगर के इतिहास में कोई भी बड़ा अपराधी विधान सभा और लोक सभा की कुर्सी तक नहीं पहुंचा है इसकी मुख्य वजह रही है मुज़फ्फरनगर की खुशाली यहाँ हर व्यक्ति अपने आप में सक्षम और रसुकदार है और ज़्यादातर लोग खेतीबाड़ी से जुड़े हुए है वैसे तो मुज़फ्फरनगर में आपसी रंजिश में हत्याए झगडे बरसो से चली आ रही थी.

मुज़फ्फरनगर में अपराध का आग़ाज़


आपराधिक गतिविधियों से मुज़फ्फरनगर का जुड़ाव सन 1975 से शुरू होता है। जैसे की हर किसी अपराधी के पीछे एक बड़ा और राजनितिक सगरक्षण ज़रूर होता है ऐसा ही कुछ मुज़फ्फरनगर में हुआ.

1973 के दौर में मुज़फ्फरनगर की राजनीती में एक बड़ा नाम चेयरमैन से विधायक और राज्य मंत्री रहे सफ़ेद पोश नेता जी जिन्होंने संगरक्षण दिया दो बड़े अपराधियों को वो दोनों सगे भाई थे सफ़ेद पोश ऊपर से निचे तक सफ़ेद कपडे भी जुते भी रुमाल भी खुली गाड़ी में बैठ  कर बाजार से निकलते थे उनके वाहन का नाम भी शांति वाहन था तूती चहकती थी उनकी मुज़फ्फरनगर में अपराध की दुनिया के बड़े नाम। शिव कुमार और राम कुमार 
पुलिस भी डरती थी कप्तान के साथ बदसलूखी, रंगदारी, हत्या, जबरन वसूली जैसी घटना आम थी इनके लिए

दोनों भाइयो का आपराधिक ग्राफ बढ़ता रहा और जिले में इनका अपराध जगत में अच्छा खासा नाम हो गया. एक बार किसी अवैध संपत्ति पर कब्ज़े को लेकर मंत्री जी के साथ कोई मनमुटाव हुआ और शिव कुमार मंत्री जी के सामने आ गया और मंत्री जी के हुक्म को मानने से मना कर दिया ये बात मंत्री जी को अलख गुजरी और यहीं से इसने अपने अंत की परकाष्ठा लिख दी

मंत्री जी का हाथ सर से हटा और उधर पुलिस ने एनकाउंटर की रूपरेखा लिखनी शुरू की ये कहा जाता है के पुलिस ही के द्वारा नफीस नामक व्यक्ति से शिव कुमार की हत्या कराई गयी और राम कुमार को पुलिस ने एन्काउंटर में मार गिराया.

बाद में एक मामूली सा नाम आगे चल कर बहुत बड़ा नाम मुज़फ्फरनगर की आपराधिक हिस्ट्री में उभर कर आया वो नाम था नफीस कालिया  अब नफीस कालिया का वर्चस्व पुरे मुज़फ्फरनगर में बड़े ज़ोर शोर से चल रहा था उसी समय ज़िले में आस पास के दिहात में भी कई बदमाशों के नाम उभर रहे थे जैसे.


हरपाल खेड़ी, चरण सिंह हैदरनगर ,सुरेंद्र कुकड़ा ,सुशील मूछ ,भोपाल रूहाना
ये कुछ नए नाम थे जो इस दहशत की दुनिया में बड़े नाम हो गए थे। इस सब से पहले मुज़फ्फरनगर शहर अमन और शांति का शहर था यहाँ बदमाशी नहीं थी माफिया नहीं थे डॉन नहीं थे।
इन सब अपराधियों के नाम बड़े ज़ोर शोर से ज़िले में चल रहा था इन सब के बीच गांव देहात में आपसी रंजिश में हत्याएं होना एक आम बात थी।

सुशील मूछ 

1991 में सुशील मूछ ने सुरेंद्र कुकड़ा को अदावत के चलते भोपा रोड पर सरेआम गोलियों से भून दिया। इसके बाद मूछ ने पचिमी उत्तर प्रदेश में खूब नाम कमाया और कुछ दिनों बाद मूछ और नफीस कालिया में गैंगवार शुरू हो गयी जो बहुत लम्बी चली। वर्ष 2000 आते -आते ये नाम पुराने हो गए थे अब मुज़फ्फरनगर में नए नाम चमकने लगे थे.

शौकीन बरला, नीटू कैल , बिट्टू कैल , संजीव जीवा ,

जो मुज़फ्फरनगर से निकल कर पूर्वांचल में भी दबदबा बनाने में कामयाब रहे।उधर सुशील मूछ और नफीस की रंजिश जारी थी कुछ दिन बाद नफीस कालिया को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में गोलियों से भून कर मौत के घाट उतार दिया गया सूत्र से मिली जानकारी से पता चला था के नफीस की हत्या सुशील ने ही कराई थी। इसके बाद सुशील का दब दबा मुज़फ्फरनगर में पूरी तरह से कायम हो गया और अभी तक कायम है।


वर्ष 2003 में मुज़फ्फरनगर के S.P का पद संभाला नवनीत सिकेरा ने युवा तेज़ तर्रार कप्तान उनके कार्य भार सँभालते ही अपराधियों में खलबली मच गयी उन्होंने अपनी सूझ बूझ से 55 छोटे बड़े अपराधियों को एनकाउंटर में मार गिराया। और मुज़फ्फरनगर ज़िले को अपराध मुक्त बनाने का निरंतर प्रयास किया और कुछ हद तक कामयाब भी हुए उनके शासन काल में अपराधियों की दहशत कुछ कम हो गयी थी और आम जनता का पुलिस पर विशवास कायम होने लगा था।
 
कुछ दिनों बाद एक नया नाम मुज़फ्फरनगर में चमका जिसका नाम था विक्की त्यागी  विक्की त्यागी ने अपने नाम की दहशत खूब फैलाई मुज़फ्फरनगर में और आगे चलकर ब्लाक प्रमुख भी बना। बड़कली गांव में 8 लोगो की निर्मम हत्या कराकर विक्की त्यागी मुज़फ्फरनगर का बहुत बड़ा नाम बन चूका था।
जो जेल में रहकर ही अपना साम्राज्य चला रहा था विक्की के हौसले इतने बुलंद हो गए थे की उसने किसी बात पर कहा सुनी होने पर जेल के एक सिपाही चुन्नी लाल की ही हत्या करा दी। इसके बाद से विक्की की उलटी गिनती शुरू हो गयी थी.

सिस्टम से अदावत कर कोई भी बदमाश ज़्यादा दिन नहीं चल पाता है। कुछ दिनों बाद एक नव युवक सागर मलिक जो छोटे छोटे अपराध में लुप्त था उसने विक्की त्यागी की कचेहरी परिसर में ही हत्या कर दी। वर्तमान में सागर मलिक इलहाबाद की नैनी जेल में बंद है। और वर्तमान में मुज़फ्फरनगर में 2 गैंग सक्रीय है सुशील मूछ और संजीव जीवा जोकि दोनों जेल में बंद है।
वैसे आपसी रंजिश में हत्याएँ मुज़फ्फरनगर में आम बात है जो की समय समय पर होती रहती है.
 


 

 

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