अपराधी या नेता
अपराधी अपराध की दुनिया में चाहे किसी भी मज़बूरी में उतरा हो लेकिन वो इस दुनिया में आगे चल कर राजनीती में हाथ ज़रूर आज़माता है। ज़्यादातर अपराधी राजनीती के सफर में कामयाब भी हुए। अपराध की दुनिया से राजनीती में प्रवेश
अपराध की दुनिया से राजनीती में प्रवेश की नीव हरिशंकर तिवारी ने रखी थी जो उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले है। 1970 के दशक के मशहूर बाहुबली रहे हरिशंकर तिवारी को सभी माफियाओ का बाप कहा जाता था जिनपर 23 से ज़्यादा मुक़दमे चल रहे थे हरिशंकर तिवारी पहले ऐसे माफिया या नेता थे जिन्होंने जेल में रहकर निर्दलीय विधानसभा का चुनाव जीता था। और फिर 23 साल तक लगातार विधायक रहे। इसके बाद से ही सभी राजनितिक पार्टियों में बाहुबलियों को अपनी गोाद में बिठाने की होड़ लग गयी।
इसके बाद अनेक राजनितिक पार्टियों ने अपनी पार्टी से चुनाव क टिकट दे कर अपना उल्लू सीधा करवाया जैसे अतीक अहमद ,राजीव शुक्ला ,मुख्तार अंसारी , ब्रजेश सिंह ,मदन भैया ,अनेको ऐसे नाम है जो आज भी सत्ता आने पर सत्ता का सुख भोग रहे है। यही वजह है की पुलिस और अफसरों को इनकी सुन्नी पड़ती है और इनके हुक्म का पालन करना पड़ता है।
कानपूर में जो कुछ हुआ इसका ज़िम्मेदार हमारा ये ही सिस्टम है।
अगर मुद्दे की बात करें तो 2 जुलाई की रात कानपूर में हुए पुलिस नरसंहार जिसमे 10 पुलिसकर्मी शहीद हुए और 16 घायल है। ये सब क्यों हुआ और कसे हुआ ये अभी जाँच का विषय है लेकिन जो तथ्ये अभी तक निकल के सामने आये है उन पर प्रकाश डालते है।
चौबेपुर थाना इंचार्ज की ऐसी क्या मज़बूरी थी की उन्हें रेड की जानकारी विकास दुबे को देनी पड़ी।
क्या विकास दुबे का नेटवर्क पुलिस से तेज़ था सवाल यह है के एक बदमाश की सिस्टम में इतनी पकड़ इसका का दोषी कौन है। यह पहली बार नहीं हुआ है 1995 में श्री प्रकाश शुक्ला को भी ऐसे ही जानकारी प्राप्त हो गयी थी और उसने दरोगा R .K तिवारी को उन्ही की पिस्टल से मार गिराया था।
अगर विकास दुबे के सर पर राजनितिक पार्टी या सत्ता धारी पार्टी के चुने हुए जनप्रतिनिधि का हाथ ना होता तो वो आज या तो मारा गया होता या जेल में सजा काट रहा होता।
सन 2000 में पुलिस थाने में घुस कर राज्य मंत्री की हत्या करना और कोई गव्हा ना मिलना निचली अदालत से बरी होना और केस ऊपर फाइल ना करना इस बात का सबूत है के विकास की सत्ता में कितनी मजबूत पकड़ थी। इस नरसंघार के पीछे केवल पुलिस ही दोषी नहीं है दोषी है हमारा सिस्टम राजनितिक पार्टिया जो इन बदमाशों को पुलिस के सर पर चढ़ने का मौका देती है। सवाल यह है के क्या राजनीती में इन अपराधियों के दखलंदाज़ी के बिना काम नहीं चलता क्या जनता पढ़े लिखे ईमानदार नेता को पसंद नहीं करती है। जब तक राजनीती में अपराधियों का दखल रहेगा ऐसे ही जनता और पुलिस को कानपूर जैसे हत्याकांड देखने को मिलते रहेंगे।
1 Comments
Nice but need more practice keep going one day you will get success
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