भारत का ‘कवच’Financial Fraud Risk Indicator (FRI) डिजिटल धोखाधड़ी के खिलाफ एक सशक्त कदम

डिजिटल इंडिया की सफलता के साथ-साथ साइबर धोखाधड़ी के मामलों में भी बढ़ोतरी देखी गई है। खासकर UPI और अन्य ऑनलाइन भुगतान माध्यमों के ज़रिए हो रही धोखाधड़ियाँ आम नागरिकों के लिए चिंता का विषय बन चुकी हैं। इस चुनौती का जवाब अब सरकार ने एक अत्याधुनिक तकनीकी पहल के रूप में दिया है — Financial Fraud Risk Indicator (FRI), जिसे भारत का ‘कवच’ कहा जा सकता है।


क्या है FRI?


Financial Fraud Risk Indicator (FRI) एक तकनीक-आधारित विश्लेषणात्मक टूल है जिसे दूरसंचार विभाग (DoT) ने विकसित किया है। इसका मुख्य उद्देश्य है — डिजिटल लेनदेन के दौरान फ्रॉड की पहचान करना और उसे वास्तविक समय (Real-time) में रोकना।


कैसे काम करता है FRI?


FRI बैंकों, UPI सेवा प्रदाताओं और वित्तीय संस्थानों को उस मोबाइल नंबर के बारे में एक्शन योग्य इंटेलिजेंस (Actionable Intelligence) प्रदान करता है जिससे पेमेंट किया जा रहा है। यह टूल यह जांच करता है कि किसी मोबाइल नंबर का अतीत में साइबर धोखाधड़ी या संदिग्ध गतिविधियों में कोई रोल रहा है या नहीं। यदि नंबर जोखिमपूर्ण पाया जाता है, तो उसे फ्लैग कर दिया जाता है — जिससे संबंधित संस्था सतर्क हो जाती है और धोखाधड़ी होने से पहले ही कदम उठा सकती है।


क्यों है यह पहल महत्वपूर्ण?


  • 🔐 सुरक्षित डिजिटल भुगतान: UPI आज भारत का सबसे बड़ा और लोकप्रिय पेमेंट प्लेटफॉर्म बन चुका है। हर दिन करोड़ों ट्रांजैक्शन्स होते हैं। ऐसे में सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
  • ⚠️ फ्रॉड की रोकथाम: अब धोखेबाज़ों की पहचान पहले ही हो सकेगी और आम नागरिकों के धन की रक्षा की जा सकेगी।
  • 📊 डेटा-संचालित निर्णय: FRI जैसे टूल डेटा का उपयोग करके स्मार्ट निर्णय लेने में मदद करते हैं, जिससे संपूर्ण डिजिटल इकोसिस्टम मज़बूत होता है।

दूरसंचार विभाग की सराहनीय पहल


इस टूल को विकसित कर DoT ने एक सशक्त और दूरदर्शी कदम उठाया है, जो न सिर्फ तकनीकी रूप से प्रभावी है, बल्कि डिजिटल ट्रस्ट को भी और मज़बूत करता है। इस प्रयास के लिए सभी संबंधित स्टेकहोल्डर्स — तकनीकी टीमों, बैंकों, सेवा प्रदाताओं और नीति निर्माताओं को बधाई दी जानी चाहिए।


Post a Comment

0 Comments