मुज़फ्फरनगर ने कल जो इतिहास लिखा है वो हमेशा याद किया जायेगा और कल से मुज़फ्फरनगर को अपराध के लिए नहीं मेहमान नवाज़ी, सेवाभाव, खिदमत, भाई चारा और स्वागत के करने वाले व्यक्तियों के रूप में याद करेंगे।
जैसा के आप सब लोगो को पता है 5 सितम्बर को उत्तर प्रदेश के जिला मुज़फ्फरनगर में सयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर एक बहुत बड़ी महापंचात हुई जिसके मेज़बान थे भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष चौ नरेश टिकैत और राष्टीय प्रवक्ता चौ राकेश टिकैत।
वैसे तो मुज़फ्फरनगर इस तरह कि राजनैतिक रैलीया और पंचायतो के लिए बहुत चर्चित जिला रहा है और दिल्ली लखनऊ तक की सिहासन हिलाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है मुज़फ्फरनगर की राजनीती का।
लेकिन मुज़फ्फरनगर में 5 सितम्बर की जो किसानो की महापंचायत हुई है उसने एक इतिहास लिखा है भीड़ संख्या बल के नज़रिये से अगर देखा जाये तो ये सत्ये है के पचिम उत्तर प्रदेश की धरती पर इससे बड़ी कोई राजनैतिक रैली और पंचायत नहीं हुई है कितनी भीड़ थी कितने लोग थे कितने वाहन थे इन सबका अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है, हाँ ये कहाँ जा सकता है के 80 वर्षीय बुजुर्ग से लेकर 25 साल के युवा तक ये कहता सुनाई दिया के हमने इससे पहले इतनी भीड़ लोगो का सैलाब कभी नहीं देखा है।
ये तो बात रही भीड़ की अब सबसे अनोखी और गौरव की बात ये थी के जैसे मुज़फ्फरनगर वासियो ने बहार से आने वाले व्यक्तियों की सेवा की इतने आदर सम्मान के साथ सभी मेहमानो का स्वागत किया ये सच में बहुत बड़ी बात थी के तक़रीबन 5 से 10 लाख लोगो का जनसमूह एक जगह जमा हुआ हो और कोई व्यक्ति ये नहीं कह सकता के मुझे खाना नहीं मिला या पानी नहीं मिला खाना मिलना पानी की बात तो छोरो जो व्यक्ति जहाँ था उसको वहीँ पर हर वो चीज़ मिली जिसकी उसको ज़रूरत थी मुज़फ्फरनगर वासियो ने सच में ये एक मिसाल पेश की है जाती धर्म से ऊपर उठ कर हर एक मेहमान के सामने हर व्यक्ति पलके बिछाये खड़ा था।
हरयाणा पंजाब से आने वाले हर मार्ग पर गावों कस्बो में हर व्यक्ति सड़को पर था और जिस से जो भी बन पड़ रहा था वो अपने ज़िले में आने वाले मेहमानो के लिए कर रहा था हर किसी की ये इच्छा थी के कोई भी व्यक्ति जो पंचायत में शामिल होने के लिए जिला मुज़फ्फरनगर में आया है वो खली हाथ न जाये।
अगर किसी के पास चने थे तो वो प्लास्टिक की पन्नियों में भर कर चने ही दे रहा था वाहनों को रोक रोक कर एक एक व्यक्ति से पूछ कर आपको किसी प्रकार की असुविधा तो नहीं है उसका निस्तारण कर रहे थे।
गर्मी बहुत थी हमे देखा है के अमूमन जब इतनी गर्मी में कोई शादी वगेरा का अवसर होता है तो पानी की पूर्ति करने में बहुत मशकत करनी पड़ती है 4 से 5 हज़ार की व्यक्तियों के प्रोग्राम में ही लेकिन कल 5 से 10 लाख के जनसमूह के किसी व्यक्ति को पानी की कमी महसूस नहीं हुई है।
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