RBI के गवर्नर शक्तिकांता दास ने एक बार फिर 8 फरवरी को घोषणा की रेपो दर को 25 आधार अंकों से बढ़ाकर 6.5% करने का फैसला किया,
चलिए अब ये बैंको के नंबर और मुद्रफीसदी मेह्गाई दर और प्रतिशत आम आदमी के समझ में तो नहीं आएंगे इसको आसान भाषा में समझते है ये है क्या बवाल और इसका हमारी ज़िन्दगी पर क्या असर पड़ेगा।
रेपो (REPO) रेट होता क्या है
RBI जो पैसा इन बैंको को देता है इसके बदले वो उनसे ब्याज़ लेता है उसी को रेपो रेट कहते है और उसी को बढ़ाकर 6.5% कर दिया गया है ,
रेपो रेट बढ़ने से हमारे पर क्या फर्क पड़ेगा
आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ाने से आपके होम और कार लोन जैसे अन्य कर्जों की ईएमआई बढ़ जाएगी। क्योंकि बैंक आम तौर पर बढ़ी हुई रेपो रेट का बोझ खुद झेलने की बजाय ग्राहकों पर डाल देते हैं।
RBI रेपो रेट क्यों बढ़ता है
रेपो रेट बढ़ने से महंगाई को कम करने में मदद मिल सकती है। रिजर्व बैंक का मानना है कि ब्याज दर महंगा होने से मुद्रास्फीति की दर पर लगाम लगाई जा सकेगी।
RBI का ये क़दम उन लोगों के लिए ज़्यादा अच्छा है, जो ग़रीब तबके के हैं, क्योंकि इस तबके पर ईएमआई का असर नहीं पड़ता
रेपो रेट बढ़ने का असर आपके सेविंग बैंक अकाउंट और एफडी पर भी पड़ेगा। बैंक आपके सेविंग अकाउंट और सावधि जमा पर ब्याज दर बढ़ा सकते हैं।
लगातार बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए भी केंद्रीय बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी करके इसे काबू में करने की कोशिश करता है। रेपो रेट में ताजा बढ़ोतरी से उम्मीद की जानी चाहिए कि महंगाई को काबू में रखने में मदद मिलेगी।
उद्योग चाहते हैं कि ब्याज दरें कम रहें ताकि उन्हें कम दरों पर कर्ज़ मिल सके. यह तभी होता है जब अर्थव्यवस्था में पैसा अच्छा हो. मुझे लगता है कि RBI का ध्यान इस पर भी है कि जब चुनाव आते हैं, तो पैसा अपने आप बढ़ता है. 2024 में देश में चुनाव है और चुनाव में पैसा बढ़ना ही है ऐसे में अगर ब्याज दरें और कम करते हैं, तो पैसा बढ़ेगा और महंगाई बढ़ेगी.
रेपो रेट बढ़ाने से पैसे की डिमांड कम हो जाएगी. पैसे कम होंगे तो लोग घर, स्कूटर, कार कम ख़रीदेंगे. कम लोन लेंगे. डिमांड कम होगी तो महंगाई कम रहेगी.
लेकिन एक आम धारणा ये भी है कि महंगाई का सीधा संबंध जनता के हाथ में रहने वाले पैसे से होता है. आपके पास पैसा होगा, तो आप ख़र्च करेंगे, ख़र्च करेंगे तो डिमांड बढ़ेगी, लेकिन सप्लाई पूरी नहीं हो पाएगी तो महंगाई बढ़ेगी. सप्लाई में कमी के अलग अलग कारण हो सकते हैं - जैसे सप्लाई चेन में रुकावट, कामगारों की समस्या, उत्पादन में कमी. डिमांड के मुताबिक सप्लाई बनी रहेगी तो महंगाई काबू में रहेगी.
लेकिन एक आम धारणा ये भी है कि महंगाई का सीधा संबंध जनता के हाथ में रहने वाले पैसे से होता है. आपके पास पैसा होगा, तो आप ख़र्च करेंगे, ख़र्च करेंगे तो डिमांड बढ़ेगी, लेकिन सप्लाई पूरी नहीं हो पाएगी तो महंगाई बढ़ेगी. सप्लाई में कमी के अलग अलग कारण हो सकते हैं - जैसे सप्लाई चेन में रुकावट, कामगारों की समस्या, उत्पादन में कमी. डिमांड के मुताबिक सप्लाई बनी रहेगी तो महंगाई काबू में रहेगी.
रेपो रेट बढ़ने से कुछ फायदा भी होता है या सिर्फ नुक्सान ही है
RBI का ये क़दम उन लोगों के लिए ज़्यादा अच्छा है, जो ग़रीब तबके के हैं, क्योंकि इस तबके पर ईएमआई का असर नहीं पड़ता
उद्योग चाहते हैं कि ब्याज दरें कम रहें ताकि उन्हें कम दरों पर कर्ज़ मिल सके. यह तभी होता है जब अर्थव्यवस्था में पैसा अच्छा हो. मुझे लगता है कि RBI का ध्यान इस पर भी है कि जब चुनाव आते हैं, तो पैसा अपने आप बढ़ता है. 2024 में देश में चुनाव है और चुनाव में पैसा बढ़ना ही है ऐसे में अगर ब्याज दरें और कम करते हैं, तो पैसा बढ़ेगा और महंगाई बढ़ेगी.
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