Akash Anand आकाश आनंद होंगे बसपा (BSP) के उत्तराधिकारी, मायावती ने पार्टी मीटिंग में की घोषणा

मायावती जी ने मीटिंग में आज आकाश आनंद को पार्टी का उत्तराधिकारी घोषित किया है मायावती जी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को छोड़कर पूरे देश की जिम्मेदारी आकाश को दे रहे हैं.यह दोनों राज्य बड़े हैं मौका आने पर इन राज्यों की जिम्मेदारी भी उन्हें दी जाएगी। 


मायावती ने पार्टी के पदाधिकारियो को इस बात का भी निर्देश दिया है कि चंदे में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें

पार्टी को मजबूत करने के लिए आर्थिक रूप से जरूरत होती है

दूसरे राज्यों में मायावती जी का जो निर्देश होगा हम लोग उसे पर अमल करेंगे।।

आकाश आनंद पहली बार चर्चा में तब आए, जब 2019 के लोकसभा चुनावों में अखिलेश यादव ने मायावती के साथ गठबंधन किया था.


चुनावी माहौल में आकाश आनंद की एक झलक मिलते ही मीडिया में आकाश के मायावती के राजनीतिक उत्तराधिकारी होने की अटकलें सुर्ख़ियाँ बटोरने लगीं थी।


आइए जानते हैं आकाश आनंद के बारे में, जिन्हें कुछ बसपाई मायावती के बाद पार्टी का सबसे बड़ा नेता मानते हैं.


अगर आप बहुजन समाज पार्टी की वेबसाइट पर आकाश आनद के बारे में और उनकी ज़िम्मेदारियों के बारे में जानकारी खोजने की कोशिश करेंगे, तो शायद ही आपको वहाँ कुछ मिलेगा.

आकाश ने अपनी ट्विटर प्रोफ़ाइल जुलाई 2021 में बनाई और तकरीबन 2 साल में उनके 1 लाख 84  हज़ार से अधिक उनके फ़ॉलोअर्स हैं.

उनकी वेरिफ़ाइड प्रोफ़ाइल में वो अपने आप को बसपा का राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर बताते हैं और उन्हें बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र भी फॉलो करते हैं.

लेकिन उनकी बुआ मायावती जो ख़ुद भी ट्विटर पर काफ़ी सक्रिय हैं, उन्हें ट्विटर पर फ़ॉलो नहीं करती हैं.

आकाश अपने पिता और बसपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आनंद कुमार को भी ट्विटर पर फ़ॉलो करते हैं.

आकाश अपने भाषण में अंग्रेज़ी के अल्फ़ाज़ का काफ़ी इस्तेमाल करते हैं. जैसे कांशीराम के बारे में बात करते हुए वो उन्हें अंग्रेज़ी में, "सोर्स ऑफ़ इंस्पिरेशन बताते हैं."


अपने शुरुआती भाषणों में आकाश युवा होने की वजह से शायद कुछ ग़लतियाँ भी करते थे. जैसे उन्होंने एक भाषण में मायावती को बसपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बता दिया लेकिन असल में वो पार्टी की सुप्रीमो हैं और लंबे समय से अध्यक्षा रही हैं.


अपने भाषणों में वो बसपा की समितियों में नौजवानों की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत तक करने की बात करते हैं. वे मायावती की तरह "साम दाम दंड भेद" जैसे राजनीतिक जुमलों का इस्तेमाल करते हैं.


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