पाकिस्तान के शहर रावलपिंडी कराची में कब्रिस्तान के नीचे सुरंगों में बसी अज्ञात दुनिया
पाकिस्तान का रावलपिंडी शहर अपने ऐतिहासिक स्थलों, सैन्य महत्व और घनी आबादी के लिए जाना जाता है। लेकिन इस शहर में एक ऐसा रहस्यमयी स्थान भी है जो चर्चा का विषय बना हुआ है—एक पुराना कब्रिस्तान, जिसके नीचे सुरंगों का जाल फैला हुआ है और इनमें लोग रहते हैं। यह सुनने में अविश्वसनीय लग सकता है, लेकिन यह एक कड़वी सच्चाई है कि मजबूरी और गरीबी के कारण कई लोग मृतकों के नीचे बसी इन अंधेरी गुफाओं को अपना घर बना चुके हैं।
यह कब्रिस्तान कौन सा है?
रावलपिंडी
रावलपिंडी में कई पुराने कब्रिस्तान हैं, लेकिन यह रहस्यमयी घटना "चारदा घाट कब्रिस्तान" से जुड़ी हुई बताई जाती है। यह कब्रिस्तान शहर के पुराने हिस्से में स्थित है और काफी प्राचीन माना जाता है। इसकी जड़ें मुगल या ब्रिटिश काल से जुड़ी हो सकती हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस कब्रिस्तान के नीचे पुरानी सुरंगें मौजूद हैं, जिनका इस्तेमाल अतीत में किया जाता था। समय के साथ, इन सुरंगों को बेघर और मजबूर लोगों ने अपना ठिकाना बना लिया।
कराची
यह अनोखा ठिकाना कराची के सबसे बड़े और पुराने कब्रिस्तानों में से एक "मकली कब्रिस्तान" के नीचे स्थित है। मकली कब्रिस्तान अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए भी जाना जाता है, क्योंकि यह दुनिया के सबसे बड़े कब्रिस्तानों में से एक है। इसके नीचे फैली सुरंगें एक समय में पुरानी कब्रों, तहखानों और गुप्त मार्गों के रूप में बनाई गई थीं, लेकिन धीरे-धीरे ये लोगों के रहने के स्थान बन गए।
सुरंगों की उत्पत्ति कैसे हुई?
रावलपिंडी और कराची के यह कब्रिस्तान बहुत पुराने है और यहां कई महत्वपूर्ण लोगों की कब्रें भी हैं। ऐसी संभावना जताई जाती है कि
- ब्रिटिश शासनकाल में इन सुरंगों का इस्तेमाल गोदाम या बंकर के रूप में किया गया होगा।
- कई पुराने कब्रिस्तानों में गुप्त तहखाने और सुरंगें बनाई जाती थीं, ताकि धार्मिक या राजनीतिक हस्तियों की कब्रों को सुरक्षित रखा जा सके।
- स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, इन सुरंगों का इस्तेमाल कभी चोरों, डाकुओं या विद्रोहियों के छिपने के लिए किया जाता था।
समय के साथ, ये सुरंगें भूली-बिसरी कहानियों का हिस्सा बन गईं, लेकिन अब इनमें रहने वाले गरीब और बेघर लोगों ने इन्हें एक अलग पहचान दे दी है।
सुरंगों में कौन रहते हैं?
इन सुरंगों में रहने वाले लोग मुख्य रूप से ऐसे गरीब नागरिक हैं जो बेघर हो चुके हैं। इनमें शामिल हैं:
- दिहाड़ी मजदूर, जिन्हें काम तो मिल जाता है, लेकिन रहने के लिए कोई जगह नहीं होती।
- भीख मांगने वाले और कचरा बीनने वाले जो शहर में दिनभर घूमकर कुछ कमाते हैं और रात को इन अंधेरे कमरों में लौट आते हैं।
- नशे के आदी लोग, जिन्होंने समाज से कटकर यहां अपना ठिकाना बना लिया है।
- कुछ अपराधी और भगोड़े, जो पुलिस या समाज से छिपने के लिए इन गहरी और अंधेरी जगहों में शरण लेते हैं।
- इन सुरंगों में रहना कैसा होता है?
इन अंधेरी सुरंगों में जीवन अत्यंत कठिन है। यहाँ की प्रमुख समस्याएँ इस प्रकार हैं:
1. अंधेरा और गंदगी
चूंकि ये सुरंगें काफी पुरानी हैं, इनमें प्राकृतिक रोशनी नहीं पहुंचती। बिजली की कोई व्यवस्था नहीं है और अधिकतर जगहों पर बदबू भरी हवा चलती रहती है।
2. बीमारी और स्वास्थ्य संकट
साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण इन लोगों को कई प्रकार की बीमारियां होती रहती हैं। खासकर टीबी, त्वचा रोग, सांस की बीमारियां और कुपोषण आम हैं।
3. नशे और अपराध का अड्डा
स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, इन सुरंगों में कई नशेड़ी और अपराधी भी छिपे रहते हैं। यह जगह चरस, हेरोइन और अन्य नशीले पदार्थों की बिक्री का केंद्र भी बन चुकी है।
4. अंधविश्वास और डर
स्थानीय लोग मानते हैं कि यह जगह भूतिया है। कई लोग दावा करते हैं कि उन्होंने इन सुरंगों में अजीबोगरीब आवाजें, रोशनी के चमकने-बुझने और परछाइयों को चलते हुए देखा है। कुछ लोगों का मानना है कि यह इलाका जिन्नों और आत्माओं का ठिकाना है, जो इन गुफाओं में रहने वालों को परेशान करते हैं।
सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया
स्थानीय प्रशासन और पुलिस को इस समस्या की जानकारी है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। जब भी कोई बड़ी घटना होती है, प्रशासन इन सुरंगों में रहने वालों को बाहर निकालने की कोशिश करता है, लेकिन कुछ समय बाद वे फिर वापस आ जाते हैं।
क्या इन लोगों का कोई भविष्य है?
इस जगह पर रहने वाले लोगों का भविष्य अंधकारमय है। सरकार यदि पुनर्वास योजनाएं लागू करे और इन बेघर लोगों को स्थायी आवास उपलब्ध कराए, तो स्थिति बदल सकती है। सामाजिक संगठनों को भी आगे आकर इन लोगों की मदद करनी चाहिए।
निष्कर्ष
रावलपिंडी के इस कब्रिस्तान के नीचे बसे ये अज्ञात लोग हमारे समाज की हकीकत को उजागर करते हैं। यह जगह गरीबी, मजबूरी और सामाजिक असमानता की एक भयानक तस्वीर पेश करती है। जब तक इन लोगों को एक बेहतर जीवन जीने का अवसर नहीं मिलेगा, तब तक यह अंधेरी सुरंगें ही उनका एकमात्र आश्रय बनी रहेंगी।
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Interesting blogpost
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