अबू लुलु फिरोज (Abu Lulu Firoz) कौन थे?| अबू लुलु फिरोज का इतिहास और विवाद.

 परिचय (Introduction)

अबू लुलु फिरोज (Abu Lulu Firoz) इस्लामी इतिहास की एक ऐसी विवादास्पद और रहस्यमयी शख्सियत हैं जिनका नाम खलीफा उमर इब्न अल-खत्ताब की हत्या से जुड़ा हुआ है। वह मूलतः ईरान (प्राचीन फ़ारस) से थे और एक गुलाम के रूप में मदीना लाए गए थे। अबू लुलु का जीवन, उनकी कुशलताएं, और उनके द्वारा किया गया ऐतिहासिक कृत्य आज भी बहस और शोध का विषय बना हुआ है।

Abu Lulu Firoz Ka mazaar Iran me


इतिहासिक पृष्ठभूमि (Historical Background)

सातवीं शताब्दी में इस्लामी साम्राज्य का विस्तार तेज़ी से हुआ। ईरान (फ़ारस) की सासानी सल्तनत जब मुसलमानों के हाथों पराजित हुई, तब बड़ी संख्या में फ़ारसी नागरिकों को बंदी बना लिया गया। अबू लुलु भी उन्हीं में से एक थे। उन्हें एक युद्धबंदी के रूप में मदीना लाया गया और एक सहाबी मुग़ीरा इब्न शुबा के अधीन रखा गया।

व्यक्तिगत कौशल और प्रतिभा

अबू लुलु एक बहु-प्रतिभावान व्यक्ति थे। वे लोहार, बढ़ई और यांत्रिकी के जानकार थे। कहा जाता है कि उन्होंने ऐसी चक्की (grinder) का निर्माण किया था जो हवा से चल सकती थी, जो उस समय के लिए चमत्कार जैसा था।


उमर इब्न अल-खत्ताब की हत्या (Assassination of Umar ibn Al-Khattab)

अबू लुलु फिरोज और खलीफा उमर के बीच संबंध तनावपूर्ण थे। अबू लुलु अपने मालिक द्वारा लगाए गए टैक्स से नाखुश थे और उन्होंने इसकी शिकायत खलीफा उमर से की, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। इससे अबू लुलु में असंतोष पनपा।

हत्या की घटना

सन् 644 ईस्वी में, जब उमर नमाज़ के लिए मस्जिद--नबवी में खड़े थे, अबू लुलु ने उन पर एक जहरीले दोधारी खंजर से कई वार किए। उमर को गहरी चोटें आईं और कुछ दिनों के बाद उनकी मृत्यु हो गई। कहा जाता है कि इसके तुरंत बाद अबू लुलु ने खुदकुशी कर ली या फिर भीड़ द्वारा मारे गए।


अबू लुलु की मजार और विवाद (Tomb of Abu Lulu and Controversies)

ईरान के काशान शहर में अबू लुलु की एक मजार स्थित है जिसे "बाबा शुजा उद्दीन" कहा जाता है। यह स्थान कुछ शिया समुदायों द्वारा सम्मानित किया जाता है। हालांकि, इस मजार को लेकर हमेशा विवाद रहा है। कई बार इसे बंद करने की मांग उठी और इसे ईरानी सरकार द्वारा अस्थायी रूप से बंद भी किया गया।


अबू लुलु को लेकर दृष्टिकोण (Views on Abu Lulu)

सुन्नी दृष्टिकोण:

सुन्नी मुस्लिम समुदाय अबू लुलु को एक हत्यारा और अपराधी मानता है जिसने इस्लाम के दूसरे खलीफा की हत्या की।

शिया दृष्टिकोण:

कुछ शिया विचारधाराएं उन्हें एक नायक के रूप में देखती हैं जिन्होंने उस खलीफा को मारा जिसे वे अन्यायपूर्ण मानते हैं।


निष्कर्ष (Conclusion)

अबू लुलु फिरोज का जीवन सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी नहीं, बल्कि उस समय के धार्मिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संघर्षों की झलक भी है। उनके कार्यों ने इस्लामी इतिहास की धारा को बदल दिया और आज भी वे इतिहासकारों और धर्मशास्त्रियों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं।

स्रोत:

  1. अल-तबरी का इतिहास (Tarikh al-Tabari)
  2. इब्न कसीर की किताब "अल-बिदायह अल-निहायह"
  3. ईरानी सांस्कृतिक और धार्मिक दस्तावेज

 

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